अवैध रिफिलिंग पर पूर्ति विभाग लगातार कार्रवाई के दावे तो करता है, लेकिन हकीकत कुछ और है। विभाग के आंकड़े ही दावों की पोल खोल रहे हैं। अवैध रिफिलिंग के लगातार मामले पकड़े जाते हैं लेकिन जब मुकदमा दर्ज करने की बारी आती है तो विभाग नरम रुख अपना लेता है। यही कारण है कि अवैध रिफिलिंग करने वालों पर वर्ष 2020 से अब तक सिर्फ आठ मुकदमे दर्ज किए हैं। इसमें भी वर्ष 2021-2023 के बीच सिर्फ मुकदमा दर्ज हुआ। पिछले वर्ष भी सिर्फ एक मामला दर्ज किया गया, वह भी न्यायालय में विचाराधीन है।
विभाग तभी जागता है जब अवैध रिफिलिंग के कारण हादसे होते हैं। सामान्य दिनों में चेकिंग या अभियान चलाने की जरूरत नहीं समझी जाती। यही कारण है कि अवैध रिफिलिंग करने वालों के हौसले बुलंद रहते हैं। हाल ही में आमवाला में अवैध रिफिलिंग के कारण हादसा हो गया था, जिसके बाद जिला पूर्ति विभाग में
हरकत दिखी। सवाल कार्रवाई का है। अवैध रिफिलिंग करने वालों के खिलाफ लगातार अभियान चलाने की जिम्मेदारी जिला पूर्ति विभाग की है, लेकिन क्षेत्रीय पूर्ति निरीक्षक राशन की दुकानों की चेकिंग अभियान तक सीमित हैं।
• जिला पूर्ति कार्यालय की ओर से वर्ष 2021 में अवैध रीफिलिंग में 49 सिलिंडर जब्त किए गए, लेकिन रिफिलिंग करने वाले पर मुकदमे की कार्रवाई नहीं की गई।
• वर्ष 2022 में अवैध रिफिलिंग में 15 सिलिंडर जब्त किए। 8,000 रुपये अर्थदंड भी लगाया, लेकिन मुकदमा दर्ज नहीं किया।
← क्षेत्रीय पूर्ति निरीक्षकों को पूर्व में भी सख्त निर्देश जारी किए गए हैं। अब निरीक्षकों की कार्यशैली पर पैनी नजर रखी जाएगी। हर महीने क्या-क्या गतिविधियां हुई, इसका मूल्यांकन किया जाएगा। लापरवाही पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। – केके अग्रवाल, डीएसओ
